गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।गुरुरेव परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नम:॥
श्रीगुरुगीता में प्रस्तुत श्लोक द्वारा गुरुमहिमा का वर्णन किया गया है। वटपूर्णिमा से गुरुपूर्णिमा इस संपूर्ण महीने की कालावधि को ‘श्रीगुरुचरणमास’ कहा जाता है। गुरुपूर्णिमा यह सद्गुरु के ऋणों का स्मरण करके सद्गुरुचरणों में कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है। गुरुपूर्णिमा के पर्व पर सद्गुरु को गुरुदक्षिणा देने की प्रथा (रिवाज) हैं। परन्तु सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध तो कभी भी किसी से भी किसी भी प्रकार का भेट स्वीकार नहीं करते।
सन १९९६ श्रद्धावान अत्यन्त आनंदपूर्वक एवं उत्साह के साथ गुरुपूर्णिमा का यह भक्तिमय उत्सव मनाते हैं ।
अनिरुध्द् चलिसा पठन |